जो मुक्कमल न होSep 28, 20221 min readRated 0 out of 5 stars.No ratings yetBy Kinshuk mishraजो मुक्कमल न हो सकी वो फरियाद लिखी है,वक़्त कर साथ टूटती हर आस लिखी है और मत बताओ हमे फलसफा गम का हमने रंज की स्याही से ज़िन्दगी की किताब लिखी है।By Kinshuk mishra
By Kinshuk mishraजो मुक्कमल न हो सकी वो फरियाद लिखी है,वक़्त कर साथ टूटती हर आस लिखी है और मत बताओ हमे फलसफा गम का हमने रंज की स्याही से ज़िन्दगी की किताब लिखी है।By Kinshuk mishra
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