By Kartikeya Kashiv
उलझे बाल..सुलझी सी बातेँ
धूप बड़ी तेज उस दिन..
जब लगा पहली बार छाया देखी है मैंने...
पर अब वो तस्वीर छुपा दी है मैंने...
छुपाना जरूरी भी था...
नज़रे कयी देख रही थी तस्वीर वो...
मेरी दीवार पर ना सही
शायद किसी और की दीवार की थी वो..
पर तस्वीर फिर भी वही पसंद की मैंने..
पर अब वो तस्वीर छुपा दी है मैंने..
शायद क़ीमती बहुत थी..
और मेरे पास कीमत मे बस शब्द मेरे...
अब ये कसक भी कहीं छुपा दी है मैंने...
खुद के ही दिल मे सही...
पर अब वो तसवीर...
By Kartikeya Kashiv
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