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ताज़ीम

Updated: Apr 5

By Mogal Jilani


मैं कर तो सकता था बयां और भी आगे मगर!

ये ताज़िम है उनकी, के अब जुबां चल नही सकती



चल तो सकती थी कलम और भी आगे मगर!

आगे नाम हे उनका, के अब कलम चल नही सकती


इसी पर करता हु में इख़्तिताम अपनी पूरी बात का

नाम आया है उनका, कि अब बात आगे चल नही सकती।


By Mogal Jilani



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Suresh Bariya
Suresh Bariya
15 oct 2023
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Nice

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Pathan Shakil
Pathan Shakil
15 oct 2023
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Nice

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khalidpathan407
15 oct 2023
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Nice

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Aspak Khan
Aspak Khan
15 oct 2023
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Good poem

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Shahnawaj Vihari
Shahnawaj Vihari
15 oct 2023
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Nice poem

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