By Gaurav Abrol
लाज की मारी अँखियां प्यारी
सुंदर गहरी और कजरारी
तुम नयन स्वयं को समझ प्रिये
मुझे eyeliner (आइलाइनर) सा जान लो
अब तो अपना मान लो
मैं मोटर का धुआँ हुआ
तुम पूरी गाड़ी बन जाना
मैं गर आखर हुआ प्रेम का
गान मधुर बन इतराना
मुझ कंटक संग रक्तपुष्प सी
अद्भुत तुम मुस्कान भरो
अब तो अपना मान लो
मैं गुब्बारा पानी का
तुम गुजिया मीठी बन जाना
सुबह से लेकर शाम तलक
अंग रंग संग मिल खाना
मैं पिचकारी की बौछारें
छन अरुणिम तुम वरदान खिलो
अब तो अपना मान लो
अब तो अपना मान लो
By Gaurav Abrol
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