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तू साथ मेरे कहाँ नहीं है...

Updated: Sep 16, 2023

By Dr. Anil Chauhan "Veer"



जहाँ पे आकर रुके थे हम तुम, वहां से आगे जहाँ नहीं है |

तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||


वहां से निकली महक हया की,

यहाँ शगुफ्ता सा दिल डरा है |

वहां पे झटकी गयी हैं जुल्फें,

यहाँ पे बारिश का सिलसिला है ||


वही मोहोब्बत वही कशिश भी, वगरना दूरी कहाँ नहीं है |

तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||


वहां पे पीसी है उसने मेहँदी,

यहाँ पे मै सुर्ख हो रहा हूँ |

वहां हथेली पे रंग आया,

यहाँ मै रंगरेज़ हो रहा हूँ ||





हैं अब तलक हम उसी भंवर में, तो क्या की कश्ती रवां नहीं है |

तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||


वहां पे बिंदिया लगायी उसने,

यहं पे बिजली सी गिर रही है |

वहां पे लहराया उसने आँचल,

यहाँ घटायें सी घिर रही हैं ||


वहां भी सावन यहाँ भी सावन, मगर ये सावन जवां नहीं है

तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||


वहां गिराए हैं उसने आंसू,

यहाँ पे पलकें हुईं हैं खाली |

वहां पे बिखरा है उसका काजल,

यहाँ पे बिखरी हुई है लाली ||


उदास वो भी, उदास मै भी, उदास कोई कहाँ नहीं है |

तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||


By Dr. Anil Chauhan "Veer"





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