By Dr. Anil Chauhan "Veer"
जहाँ पे आकर रुके थे हम तुम, वहां से आगे जहाँ नहीं है |
तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||
वहां से निकली महक हया की,
यहाँ शगुफ्ता सा दिल डरा है |
वहां पे झटकी गयी हैं जुल्फें,
यहाँ पे बारिश का सिलसिला है ||
वही मोहोब्बत वही कशिश भी, वगरना दूरी कहाँ नहीं है |
तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||
वहां पे पीसी है उसने मेहँदी,
यहाँ पे मै सुर्ख हो रहा हूँ |
वहां हथेली पे रंग आया,
यहाँ मै रंगरेज़ हो रहा हूँ ||
हैं अब तलक हम उसी भंवर में, तो क्या की कश्ती रवां नहीं है |
तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||
वहां पे बिंदिया लगायी उसने,
यहं पे बिजली सी गिर रही है |
वहां पे लहराया उसने आँचल,
यहाँ घटायें सी घिर रही हैं ||
वहां भी सावन यहाँ भी सावन, मगर ये सावन जवां नहीं है
तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||
वहां गिराए हैं उसने आंसू,
यहाँ पे पलकें हुईं हैं खाली |
वहां पे बिखरा है उसका काजल,
यहाँ पे बिखरी हुई है लाली ||
उदास वो भी, उदास मै भी, उदास कोई कहाँ नहीं है |
तू साथ मेरे नहीं है लेकिन, तू साथ मेरे कहाँ नहीं है ||
By Dr. Anil Chauhan "Veer"
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