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दरवाजा

By Kishor Ramchandra Danake


आज बंगले के अंदर सब अपनी अपनी तैयारी में लग गए थे। थोड़ी सी शांति ही थी। सुबह के ९ बजे थे। मैडम ने अपनी कुर्सी ली और बाहर आंगन में जाकर धूप सेंकने बैठ गई। उसने देखा की आज बस्ती में भी सब लोग तैयारी में लगे हुए है। आज कोई काम पर भी नही गया था। आज का दिन रोज के दिन से अलग ही था।

बाथरूम के बाहर अक्षदा खड़ी थी। दरवाजा ठकठकाते हुए उसने कहा, “अरे पनु जल्दी बाहर आ कितने देर से नहा रही हैं।“

“आ रही हूं रानी। थोड़ा सब्र रख।“, प्रज्ञा ने बाथरूम में से कहा।

“अरे रानी चाय पी लो तबतक।“, नीलम ने अक्षदा से कहा। और वह बाहर मैडम के लिए चाय का कप लेकर गई। “ये लो मैडम चाय।“

“शुक्रिया नीलम! वैसे कही जाने की तैयारी हो रही है क्या?”, मैरी ने कहा।

“आज प्रार्थना है ना मैडम। चर्च जाने की तैयारी है।“, नीलम ने कहा।

उसी वक्त मैरी को रोशनी की बाते याद आ गई।

“अरे हां। मैं तो भूल ही गईं थी।“, मैरी ने कहा। “हो जाओ फिर तैयार जल्दी से।“

“हां मैडम।“, नीलम ने कह। “देखो रोशनी ताई भी आ गई।“


उसी वक्त रोशनी भी वहा आई।


“हो गई सब तैयारी नीलम ताई?”, रोशनी ने कहा।

“अरे हा हो गई। बस साड़ी बदलना बाकी है और फिर मैं तैयार। बस पांच मिनट का काम है।“, नीलम ने कहा।

“अच्छा अच्छा। ठीक है।“, रोशनी ने कहा। नीलम वहा से हॉल में चली गई।

रोशनी ने मैडम को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “आपकी हो गई मैडम सब तैयारी?”

“अरे रोशनी माफ करना! मुझे आज आना था। लेकिन मेरा एक बोहोत ही महत्वपूर्ण काम है। आज मुझे वह करना बोहोत ही जरूरी है।“, मैरी ने कहा।

रोशनी का चेहरा थोड़ा सा उतर गया।

“अच्छा ठीक है फिर हम निकलते है। आप अपना खयाल रखना। अगले रविवार को चलेंगे फिर।“, रोशनी ने कहा।

“हां जरूर रोशनी। कोई बहाना नहीं होगा।“, मुस्कुराते हुए मैरी ने कहा।

“अच्छा ठीक हैं। तो चलती हूं मै।“, रोशनी ने कहा। और वह वहा से चली गई।

फिर मैरी भी अपने कमरे में चली गई। अपनी थैली अपने हाथ में पकड़ ली। उसने अपने गले में लटके लॉकेट को भी हाथ लगाया पुष्टि करने के लिए की वह साथ है या नही। अब वह बस इंतजार में थी की कब बस्ती के सारे लोग चर्च चले जायेंगे।



गोदावरी नदी के बड़े पुल के नीचे किनारोंके पास दोनो तरफ छोटी छोटी बस्तीयां है। उस तरफ के लोग जादातर अपना गुजारा मछली पकड़कर, नदी में से सिक्के इकठ्ठा करके या ऐसे ही नजदीक शहर में यहां वहा छोटा मोटा काम करके गुजारा करते थे। यहां सब निचली जाति के लोग रहते थे। जो अपनी जगह से यहां अपना और अपने परिवार का गुजारा हो सके इसलिए बस गए थे। बस्तीयों के आसपास खेत और सुनसान जगह थी। कुछ झोपड़ियां थी। कुछ मिट्टी के तो कुछ इटोंके घर थे।

किनारे के इस तरफ दो झोपड़ियां थी और एक ईट का घर था। उसमे उस आदमी की भी एक झोपड़ी थी जो म्हात्रे बस्ती पर आया था। जिसने मैरी के हाथ की रेखाएं देखी थी। उसके पास एक ईट का घर था। जो उसके गुरु का था। वह एक तांत्रिक था।

वह आदमी अपने गुरु के साथ घर में बैठा हुआ था।

“मालिक! मैने आपको बताया था ना उस औरत के बारे में वह आ रही है। मुझे अभी अभी उसका फोन आया था।“, उस आदमी ने कहा।

“ठीक है किसन।“, तांत्रिक ने कहा। “लेकिन मैं तुम्हे बता देता हूं अगली बार ऐसे किसी को भी अपने बारे में खुलकर मत बताना। तुम्हे पता है ना हम हमारी पहाड़ी से यह क्यों आए है? सबसे दूर। वेलान कबीले के लोगों से छुपते हुए। और वैसे भी हम उन साधारण तांत्रिकों जैसे नही है। हम कनिक धरती के लोग और जेबेल मां के वंशज है। हम इस धरती पर बोहोत सी जगह पर फैले हुए है। लेकिन इस बात से बोहोत से लोग और दूसरे तांत्रिक आज भी अंजान है। अगर किसी को हमारे रहस्योंके बारे में पता चल गया तो हम खतरे में आ सकते है। समझे??”

“मालिक मैं जानता हूं। आज भी वह अतीत की बाते और अपना बिता कल मुझे याद है। लेकिन मैने महसूस किया था की कुछ अनोखी बात है उस औरत में। एक आत्माके होने का एहसास हुआ था मुझे। एक ताकद।“, किसन ने कहा।

“ठीक है देखते है। सब तैयार है ना?”, तांत्रिक ने कहा।

“हां। सब तैयार है।“, किसन ने कहा।


कुछ पल के बाद किसन को एक फोन आया। उसने फोन उठाया और फोन रखने के बाद उसने अपने गुरु से कहा, “वो आ गई मालिक। मैं उसे लेकर आता हूं।“


थोड़ा वक्त बिता फिर एक औरत के साथ किसन तांत्रिक के घर में आया। घर में बोहोत सी वस्तुएं यहां वहा पड़ी हुई थी। कुछ लकड़ियां और पेड़ के अलग अलग पत्ते। जमीन पर कुछ नक्षी काम। कुछ बोतले जिसमे अलग अलग रस थे। और कुछ बोतलों में बाल और नाखून तो कोई बोतलें खाली थी। तांत्रिक ने उस औरत को बोहोत ही गहराई से देखा।

“मालिक! ये वही माई है जिसका मैने जिक्र किया था। इनका नाम है मैरी।“, किसन ने कहा।

“अच्छा। तो क्या चाहती हो तुम हमसे मैरी?”, तांत्रिक ने कहा।

“मैं अपने पिताजी और मां से बात करना चाहती हू।“, मैरी ने कहा।

“तो क्या उनकी कोई वस्तु है तुम्हारे पास?”, तांत्रिक ने कहा।

“हां। मेरे पास उनका एक लॉकेट है जो मरने से पहले वे मुझे दे गए थे।“, मैरी ने अपने गले से लॉकेट निकालते हुए कहा।

तांत्रिक ने वह लॉकेट हाथ में लेते ही उसे एक झटका लगा। जैसे उसने किसी ताकद को महसूस किया हो।

“असंभवss! असंभवss!”, तांत्रिक ने कहा। डर और आश्चर्य के भाव एकसाथ उसके चेहरे पर झलक रहे थे।

मैरी और किसन भी थोड़ा सा डर गए।

“मालिक सब ठीक है ना?”, किसन ने कहा।

“हां। सब ठीक है।“, तांत्रिक ने कहा। “यह कोई साधारण लॉकेट नही है। यह किसका है?”

“यह मेरे मां का है। जो मेरे पिताजी के पास था। मेरी मां के गुजर जाने के बाद पिताजी ने रख लिया था। फिर वह मरने से पहले मुझे सौंप गए थे। लेकिन बात क्या है? सब ठीक है ना?”, मैरी ने कहा।

तांत्रिक ने अपने हाथ में बंधे एक ताबीज की तरफ देखा और फिर उस लॉकेट की तरफ।

“हां। सब ठीक है। लेकिन यह आश्चर्य की बात है की तुम्हारी मां बोहोत ही ताकदवान तांत्रिक थी।“, तांत्रिक ने कहा।

“तांत्रिक??? मेरी मां कोई तांत्रिक नही थी। वह तो बस एक – एक साधारण औरत थी। मुझे तो बस इतना ही पता है।“, मैरी ने कहा।

“क्या तुम एकदम सच कह रही हो। क्या तुम्हे पूरा यकीन है की यह तुम्हारे मां का ही है?”, तांत्रिक ने पूछा।

“हां! यह मेरी मां का ही हैं। जब मैं छोटी थी। उन्होंने मुझे कई बार कहा था। की यह उनका है और यह बोहोत ही अनमोल है।“, मैरी ने कहा।

“अच्छा! लेकिन हो सकता है यह तुम्हारी मां का हो या फिर तुम्हारी मां को किसी ने दिया हो?”, तांत्रिक ने फिर एक बार पूछा।

मैरी अब सोच में पड़ गई। थोड़ा सोचते ही उसने कहा, “लेकिन आप इतने चिंतित क्यों है? आखिर ऐसा क्या है इस लॉकेट में?”

“क्या तुम्हारे साथ कभी कुछ अजीब हुआ है या होता है? जो तुम्हे लगता है नही होना चाहिए?”, तांत्रिक ने कहा।

“ऐसी तो बोहोत सी बाते है। कभी कभी मुझे आवाजे सुनाई देती है। निराशा भरी। डरावनी।“, मैरी ने कहा। “क्या यह बाते इस लॉकेट से जुडी हुई है।“

“हां! शायद हो सकता है।“, तांत्रिक ने कहा।

“अब क्या करना है इस लॉकेट के साथ?”, मैरी ने कहा।

तांत्रिक यह सोच रहा था की क्या मैरी को सारी बाते बताएं या नहीं। वह अपने हाथ में बंधे ताबीज को देख रहा था और उसपर से हाथ फिरा रहा था।

उसने कहा, “सुनो! मैं तुम्हे कुछ बताने वाला हूं। ध्यान से सुनना।“

मैरी अब तांत्रिक की बात गौर से सुनने लगी। किसन की नजरे और आंखे अपने गुरु पर ही थी।

“एक बार अगर कोई मरता है तो उसकी आत्मा धरती पर कभी नही रहती। लेकिन वह वापस आ सकती है। लेकिन उसके लिए बोहोत ही कम रास्ते है।“, तांत्रिक ने कहा।

मैरी और किसन तांत्रिक की बात गौर से सुन रहे थे।

“हम किसी मरे हुए इंसान की आत्मा को कभी बुलाते ही नहीं। देखो हम मरे हुए लोगों की एक वस्तु लेते है। हमारे मंत्र से हम उस वस्तु को एक दरवाजा बनाते है। उस दरवाजे से कोई भी शैतानी आत्मा जो उस मरे हुए इंसान को जानती है वह बाहर आती है। वह शैतानी आत्मा उस मरे हुए इंसान का रूप लेती है और लोगों से बाते करती है। और ऐसे ही हम लोगोंका समाधान करते है।“, तांत्रिक ने कहा।

“क्या? मतलब हमसे जो बाते करते है वह हमारे अपने नही बलकि नरक की आत्माएं होती है?”, मैरी ने डर के साथ कहा।

“हां। तुम ने सही समझा। यह हमारी बोहोत ही पुरानी विद्या है।“, तांत्रिक ने कहा।

“मतलब तुम्हे जो लोगों के अतीत के बारे में पता चलता है वह नरक की आत्माएं तुम्हे बताती है?”, मैरी ने चौंकते हुए कहा।

“हां, तुमने ठीक समझा।“, तांत्रिक ने कहा।

“लेकिन इस लॉकेट की ऐसी कौन सी बात है जिस ने तुम्हे चौंका दिया है?”, मैरी ने कहा।

इतना कहते ही वह तांत्रिक अपने हाथ में बंधे ताबीज को फिर से देखने लगा। उसने अपना थूक निगला।

“शैतानी आत्माओं के लिए दरवाजा बनाना तो मेरे जैसे तांत्रिक के लिए संभव है। लेकिन यह भी एक दरवाजा है लेकिन कोई साधारण दरवाजा नहीं। यह किसी ने अपने खुद के लिए बनाया है। ताकि वह कभी भी इस धरती पर वापस आ सके। जैसा मैंने कहा था मरे हुए लोगों को धरती पर आने के लिए बोहोत काम रास्ते है। उसमें से यह भी एक रास्ता है। इस विद्या का और मंत्र का इजाद हमारे नानी के पिताजी ने किया था। इस में अबतक कोई भी सफल नही हुआ था। सिवाय मेरे उस नानी के पिताजी और नानी के।“, तांत्रिक ने कहा। और अपने हाथ में बंधे ताबीज को फिर एक बार निहारने लगा।


किसन और मैरी तांत्रिक की बाते बोहोत ही गहराई से सुन रहे थे। मैरी को उसका एक एक शब्द चौंका रहा था। और शरीर पर उसके डर का कांटा भी उभर रहा था।


तांत्रिक ने अपनी बात आगे कहना शुरू की, “ऐसे दरवाजे के लिए किसी भी इंसान की बलि देनी पड़ती है। और कुछ मंत्र पढ़ने पड़ते है।“

“क्या बलि?”, मैरी ने आंखे बड़ी करते हुए कहा।

“हां। लेकिन यह सिर्फ बलि और मंत्र तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए तुम्हारे अंदर भी उतनी जिज्ञासा और शक्ति होनी चाहिए। इसलिए यह सबके लिए संभव नहीं हैं।“, तांत्रिक ने कहा।

“मुझे तो कुछ भी समझ नही आ रहा है अब?”, मैरी ने कहा। “तुम्हारे हिसाब से इस दरवाजे के पीछे किसी की आत्मा कैद है?”

“कैद है। लेकिन उसने खुद को कैद किया है। ऐसा समझो फिर से इस धरती पर वापस आने के लिए। लेकिन यह दरवाजा बनाने का असली मकसद तो वही व्यक्ति जानता होगा जो इस दरवाजे के पीछे है।“, तांत्रिक ने कहा।

“तो अब हमे कैसे पता चलेगा की इस दरवाजे के पीछे कौन है?”, मैरी ने पूछा?

“इसके लिए हमे यह दरवाजा खोलना पड़ेगा।“, तांत्रिक ने कहा।

अब तांत्रिक की जिज्ञासा और भी बढ़ने लगी थी। वह भी देखना चाहता था की आखिर कौन है वो तांत्रिक जो इतना ताकदवान है। किसन तो अपने मालिक की ओर और मैरी की ओर ही देख रहा था।


“तो क्या तुम जानना चाहोगी इस दरवाजे के पीछे कौन है? क्योंकि इसमें से अब जो आत्मा बाहर आयेगी वो कोई शैतानी आत्मा नहीं बलकि उसकी ही आत्मा होगी जिसने यह दरवाजा बनाया है।“, तांत्रिक ने कहा।

मैरी अब सोच में पड़ गई। उसके दिमाग में लगातार बस तांत्रिक की ही बाते घूम रही थी। वह सोच रही थी की क्या यह करना ठीक होगा? क्या उसे कोई धोका हो सकता है? लेकिन अगर ऐसा करेंगे तो हो सकता है अपने अस्तित्व के बारे में उसे और पता चल पाए। वैसे भी इस धरती पर मेरे दिन बचे ही कितने हैं। इतने मुश्किल हालात से गुजरी हूं यह भी देख लेंगे।

इतना सोचने के बाद मैरी ने कहा, “ठीक है। मैं तैयार हूं।“

“अच्छी बात है। तो मैं जैसे मंत्र बताऊंगा तुम्हे उन मंत्रों को पढ़ना होगा।“, तांत्रिक ने कहा।

किसन यह सब देख रहा था। उसने देखा था की मालिक तो इस से पहले किसी आत्मा को बुलाना हो तो खुद ही मंत्र बोलते थे। लेकिन क्या इस विद्या के बारे में मालिक कोई बात छुपा रहे है? क्यों मैरी को मंत्र बोलने के लिए कह रहे है? क्या कोई अलग रसम होती है इस विद्या में? लेकिन वह बस चुपचाप देखता रहा।

अब उन्होंने उस लॉकेट को बीच में रखा। तांत्रिक ने अपनी एक पुरानी किताब निकाली जो मंत्रों से और बोहोत सी विधियों से भरी हुई थी। वह पन्ने उलटता गया उलटता गया और फिर रुक गया। “देखो तुम्हारा एक बूंद खून इस लॉकेट पर गिराना होगा और फिर अपनी पूरी जिज्ञासा से यह मंत्र तुम्हे पढ़ना है।“, तांत्रिक ने मैरी को किताब में दिखाते हुए कहा।


मैरी ने कहा, “ठीक है मैं तैयार हूं।“ लेकिन क्या यह मुझ से संभव होगा? क्योंकि मेरे अंदर ना कोई ताकद है और ना मैं कोई तांत्रिक हूं?”

तांत्रिक ने कहा, “इसके लिए बस अपने मन को खोल दो। एक बूंद खून से अपनी चाहत जाहिर करो। और मंत्र पढ़ो।“


मैरी ने लंबी सांस ली। तांत्रिक ने उसे एक नुकीली सुई दी। मैरी ने उसे अपनी उंगली में घुसाया और फिर एक बूंद धीरे से उस लॉकेट पर गिरा दी। और मंत्र पढ़ना शुरू किया। जैसे ही मंत्र खत्म हुए अचानक से दरवाजा खुलने की आवाज हुई। यह आवाज उस लॉकेट में से आई थीं। उन्हे एक पल के लिए आग की और लोगों के चिल्लाने की आवाजे सुनाई दी। वह सारे डर गए। और फिर एक ही पल में सब थम सा गया। एक औरत उनके सामने खड़ी हुई। उसका शरीर पूरा धुंवे जैसा था। एक भांप की तरह। वे सब उसे देखकर डर गए थे।

उस औरत ने कहा, “देखो इतने सालों के बाद मैं फिर से आजाद हो गई। मैं हूं सुलेखा।“ और मैरी की तरफ देखकर कहा, “और तुम्हारी नानी।“ अचानक से वह औरत गायब हो गईं। वैसे ही जैसे एक भांप हवा में गायब हो जाती है।


“सुलेखा?? मेरी दादी उसने भी एक ऐसा ही दरवाजा बनाया था उसके बहन का नाम भी यही था।“, तांत्रिक ने कहा।

अब वह तांत्रिक भी डर गया था। उसे अब पसीना आने लगा था।

मैरी और किसन उसके तरफ ही देख रहे थे।

“मैं हैरानियत में ही था की आखिर कौन है जो यह दरवाजा बना सकता है? मुझे पक्का पता है की यह मेरे दादी की ही बहन है।“, तांत्रिक ने कहा।

“मतलब यह मैडम और मालिक आप भाई बहन है?”, किसन ने कहा।

“अगर यह सच है तो हां। हम भाई बहन है।“, तांत्रिक ने कहा।

“यह क्या हो रहा है? लेकिन अचानक से वो औरत कहा चली गई?”, मैरी ने कहा।

“मुझे नहीं पता। मैं इस विद्या के बारे में बस इतना ही जानता हूं। मैं बस आजाद करना जानता था। लेकिन इसके आगे मुझे नही पता। मुझे लगता है अब मुझे इसके बारे में जल्द से जल्द जानना होगा।“, तांत्रिक ने कहा।

“तो अब मैं क्या करू? मुझे तो कुछ समझ में ही नही आ रहा।“, मैरी ने कहा।

उसी वक्त तेजी से वह तांत्रिक उठ गया और मैरी के पास गया। मैरी भी खड़ी हो गई।

“ऐसा समझो की तुम हम में से ही एक हो। और तुम्हारी मां का पता नही लेकिन तुम्हारी नानी एक तांत्रिक थीं। और यह लॉकेट तुम्हारे मां का नही बलकि तुम्हारे नानी का है। उसने अगर ये दरवाजा बना लिया था मतलब वह काफी ताकदवान थी। दुःख की बात यह थी की वह बोहोत पहले ही हमारे बस्ती से निकल गई थीं। मैंने बस उनके बारे में सुना था। हमे नहीं पता फिर उनके साथ क्या हुआ था। बस खबर आई थी की वो मर चुकी है। हमारा गांव यहां से लगभग डेढ़ सो किलोमीटर औरंगाबाद जिल्हे में है। एक पहाड़ी पर। यह बोहोत लंबी कहानी है।“, तांत्रिक ने कहा। और वह रुक गया। वह गम में था। लेकिन सोच रहा था की यह क्या हुआ, कैसे हुआ और इसके लिए अब क्या करना पड़ेगा।


मैरी ने कहा, “तो मुझे लगता है की मेरे अपने मुझे मेरे आखरी समय में मिल रहे है। वैसे मुझे यह जानकर अच्छा लगा कि मेरे कोई तो है। लेकिन डर भी लग रहा है की यह सब क्या है?” और वह खुशी के साथ मायूस भी हो गई।

तांत्रिक ने उसके कंधों को पर अपने दोनो हाथ रखे और कहा, “तुम मेरी बहन हो। मैं जल्द ही तुम्हे बताऊंगा कि आगे क्या करना है। मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं। तुम अपनी जिंदगी अच्छे से जीना। हमारे जीवन का या हमारे किसी भी काम का तुम्हारे जिंदगी पर कोई भी असर नहीं होगा।“

मैरी ने मुस्कुरा दिया। और कहा, “हां। लेकिन जिंदगी भी अजीब है। कुछ पल पहले तुम मेरे लिए अंजान थे। लेकिन अब तुम मेरे भाई हो। जिसका नाम भी मुझे अभीतक पता नही।“

“मेरा नाम कौतिक है।“, तांत्रिक ने कहा। और मुस्कुरा दिया।

“ तो अब आगे क्या?”, मैरी ने कहा।

“मेरे खयाल से अब तुम्हे घर जाना चाहिए। मुझे माफ कर दो जो कुछ भी हमने किया।“, कौतिक ने कहा।

“छोड़ो अब इन बातों को। मुझे खुशी हुई यह जानकर की मेरा भी कोई भाई है।“, मैरी ने कहा।

कौतिक भी थोड़ा भावुक हो गया और उसने कहा, “मुझे भी बोहोत खुशी हुई।“

किसन बस उनकी तरफ देख रहा था। फिर कौतिक ने किसन की ओर देखा और कहा, “जाओ किसन। मैडम को ध्यान से रिक्शा में बैठाकर आओ।“

“हां मालिक।“, किसन ने कहा। और मैडम की तरफ देखकर कहा, “चलो मैडम। चलते है।“

मैडम उठी और किसन के साथ रास्ते की तरफ चल पड़ी।


कौतिक अपनी जगह पर बैठकर सोच रहा था की आखिर क्या हुआ यह सब? उसके हाथ में भी एक ताबीज था जिसे वह देख रह था। आखिर क्यों मुझे मेरी मां ने कहां था की खुद मंत्र को पढ़कर इस दरवाजे को मत खोलना। और अगर क्या होता है की किसी और ने मंत्र पढ़कर दरवाजे को खोला। क्या मैंने अपनी ही बहन के साथ कुछ बुरा किया है? मुझे अब पता लगाने के लिए फिर से पहाड़ी जाना पड़ेगा।

मन ही मन यह बाते सोचकर वह नाराज हो रहा था। और खुद को कोस रहा था।


उसी वक्त किसन दौड़ते हुए आया। और उसने कौतिक से कहा, “मालिक क्या हुआ? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।“

कौतिक ने कहा, “मैडम पर ध्यान रखना। खयाल रखो की कोई तुम्हारे ऊपर शक ना करे और कोई हमे पहचान ना पाए। मुझे अपने सवाल के जवाब ढूंढने अपने गांव जाना होगा। अपनी मां के पास।“

“अच्छा ठीक है मालिक। मैं खयाल रखूंगा।“, किसन ने कहा। “कब जाने वाले हो आप?”

“आज ही निकल रहा हूं। लेकिन पता नही कब लौटूंगा। मां को मिलना बोहोत मुश्किल है। लेकिन फिर भी मैं जितने जल्दी हो सके उतने जल्दी लौटूंगा। और तुम मुझे फोन करके सब बताते रहना।“, कौतिक ने कहा। और वह अपने घर के अंदर चला गया।

मैरी रिक्शा में अपनी आंखे बंद करके बैठी हुई थी। वह कौतिक की ही बाते सोच रही थी की अगर कोई मर जाए तो वो वापस नही आ सकता। लेकिन उसे जैसे श्रावण चाचा ने बताया था की उसके पिताजी को मां की आवाजे सुनाई देती थी। तो क्या वह सच में उसकी मां थी या कोई शैतानी आत्मा थी? यह बाते उसे बोहोत ही उलझन में डाल रही थी।

लेकिन उसी वक्त उसे फिर से उसी औरत की आवाज सुनाई दी, “मैरीss!! मैरीss!!”

मैरी अचानक से डर गई और उसने अपनी आंखे खोली। रिक्शा में बैठे लोग उसकी ओर देखने लगे। उसने खुद को शांत किया। क्योंकि उसने यह आवाज पहले से बोहोत ही जादा साफ सुनी। जैसे उसके अंदर से यह आवाज आई थी। इस आवाज से वह पहले अंजान थी। लेकिन अब उसे यह आवाज जानी पहचानी लग रही थी। यह आवाज सुलेखा की थी।

वह नरक का दरवाजा अब खुल गया था।


By Kishor Ramchandra Danake













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