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दरिया का किनारा और एक शाम

By Ritika Singh


शाम का आलम था,

दरिया का किनारा था,

दूर कहीं पानी के उस ओर,

सूरज ढला जा रहा था,

रेत पर बैठे हम उसे ताक रहे थे,

एक अरसे बाद खुद में झांक रहे थे,



उस सांझ में अजीब खामोशी थी,

दिल के कोने में कहीं एक मायूसी थी,

लहरों का शोर टीस जगा रहा था,

हवा का झोंका साथ लिए जा रहा था,

उठ रहे सैलाब को कसकर बांध रहे थे,

एक अरसे बाद खुद में झांक रहे थे...


By Ritika Singh






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सुंदर

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vikas sharma
vikas sharma
May 16, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

वाह सुंदर लिखा है।

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Abhishek Verma
Abhishek Verma
May 16, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Beauty of Silence!

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anuj maurya
anuj maurya
May 15, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

बढ़िया

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saurabh verma
saurabh verma
May 15, 2023

क्या बात है?

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