By Swayamprabha Rajpoot
दर्द पुराना हो, जख्म नया तो क्या दर्द नहीं होगा?
गर हुआ वो किसी लड़के को तो क्या वो मर्द नहीं होगा?
अक्सर हर किसी को देते रहते है हम बिन मांगे ही सलाह
गर खुद समझ जाएँ तो क्या वो हल नहीं होगा?
यूँ तो कहते है कि मकान को घर बनाते है चंद लोग मिलकर,
गर सिर्फ मैं और मेरी तन्हाई हो तो क्या वो घर घर नहीं होगा?
हर इंसां की ज़िन्दगी में एक मसीहा होता है
वो मसीहा रो दे तो सवाल उठते है उस पर क्या उसके दिल में एक दिल नहीं होगा ?
यूँ तो कहते हैँ हर जगह पाया गया है ईश्वर का निशां..
गर झुका दूँ सिर मस्जिद के आगे मैं, तो कहो क्या मेरे लिए वो मंदिर नहीं होगा?
दाग़ बुरा और तिल को सुन्दर माना जाता है...
चाँद के दाग़ को गर प्यार से देखूँ तो क्या वो तिल नहीं होगा?
मेहबूब की बांहों में सुकून मिलता है अगर...
ज़माने से बचकर छिप जाऊं जुल्फों में, ज़माने के लिए ये मेरा दिल बुजदिल नहीं होगा?
है कहते माँ की ममता को जहाँ में सबसे ऊंचा ही...
तो अनाथों की माँ के सीने में क्या दिल नहीं होगा?
हाँ माना जिस्म पर ना हाथ लगाया किसी ने
पर गर मार दे अरमान तो क्या वो क़ातिल नहीं होगा?
By Swayamprabha Rajpoot
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