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दस्तूर दुनिया का

By Magan Chawla


मत परवाह कर

तू किसी के दूर होने की,

यहां भीड़ भारी है जनाब

इक के बाद इक को खोने की

मिलना बिछड़ना तो यहां चलता रहता है,



बहते इस पानी में इक बार तो हर कोई बहता है

मजबूर हो जाते है यहां तुम्हें खास कहने वाले भी,

ये दुनिया ऐसी ही है जनाब

दूर हो जाते है यहां पास रहने वाले भी..


By Magan Chawla



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