By Neekhil Dedhia
आज फिर मेरे अंतरवंद में है एक घमासान: उमदा,
मेरा दिल, मेरे दिमाग से है लड़ रहा ।
दिल में अंगिनत झोखे है पनप रहे,
दिमाग में तूफान का आगाज़ हो रहा ।
दिल की कशमकश, और दिमाग की जादोजहत, दोनो ही आपस में भीड़ रहे,
और आखिर में हवा के झोखो ने तूफान को नष्ट कर दिया ।
अब इस नतीजे से मैं खुश रहो या फिर शोक मनाओ ये ना समज पा रहा,
क्यूकी इस जीत और हार का खमियाज़ा मेरी रूह को है भुगतना पड़ रह ।
By Neekhil Dedhia
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