By Shivansh Soni
रूठा मुझे यह जमाना क्यों है ?
अपना ही शहर लगता बेगाना क्यों है ?
जब मुसाफिर मान चुका हूं खुद को,
तो यह दिल खोजता ठिकाना क्यों है ?
मुझसे रूठने का इनके पास बहाना क्यों है ?
मुझसे दूर रहने का इनका यह इरादा क्यों है ?
जब यह सब कुछ समझा चुका हूं इसको,
फिर भी हार ना मानने का इसमें जज्बा क्यों है ?
जब मुसाफिर ही मान चुका हूं खुद को,
तो फिर यह दिल खोजता ठिकाना क्यों है ?
By Shivansh Soni
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