By Manoj Deshpande
दुःख में बोहोत कुछ सीखने को मिलता है..हां बिलकुल सीखने मिलता है, दुःख या पीड़ा इंसान को कमज़ोर कर देती है.
लेकिन कमज़ोर इंसान कामयाब नहीं बन सकता, इसलिए दुःख से कमज़ोर होने के बजह काबिल बनाने का प्रयास करे ताकि वही दुःख सुख में परिवर्तित हो जाय.
अब ये सिर्फ बोलना आसान है,करना मुश्किल हो जाता है, यही कई बार सब के साथ होता है, दुःख कई बार इंसान खुद अपनी गलतियों से भुगता है.
गलतियां सभी इंसानो से होती है, सबको हमेशा सुख मिले ये तो मुमकिन नहीं, तो दुःख को कोसने के बजाय उसे अपना यार बना लो.
दुःख हमे याद दिलाता है हमारी गलतियों के बारे में , हमने क्या खोया , गलतियों से क्या हमने कुछ सीखा, क्या हमे दुःख झेलने की और ताकत मिली, उस दुःख से क्या हमारी वजह से मेरे अपनों को तकलीफ हुई, दुःख के हालात आगे जाके पैदा ही न हो ऐसी कोशिश करना..इत्यादि ऐसी कई विचार मन में आते है..
दुःख में आँखों में आसु आते है , वो भी जरुरी है, सिर्फ आँख साफ़ हो जाए इसलिए नहीं, मन हल्का होने के लिए ये आसु बोहोत जरुरी होते है, क्यूंकि दुःख में जो रोता नहीं उसका मन हमेशा भारी होता है, एक घुटन सी मेहसूस होती रहती है , वो चिड़चिड़ करने लगता है, इसलिए मन का बोज हल्का होने के लिए और मन का स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए थोड़ा जरूर रोये.
अब रोने में एक बड़ी समस्या है पुरुषों के मामले में, घीसा पीटा विचार है के मर्द को दर्द नहीं होता , ऐसा बिलकुल नहीं होता इंसान को दर्द होता है , दुःख होता है और दुःख में रोना बिलकुल स्वाभाविक है चाहे स्त्री हो या पुरुष.
सुख में हम अक्सर दुःख की एहमियत भूल जाते है, क्यूंकि सुख दुःख हमे ज़िन्दगी में मिलते रहेंगे.
इंसान हमेशा यही कोशिश करता रहता है की उसे सिर्फ सुख मिले दुःख की नौबत न आये..लेकिन कितनी भी कोशिश कर लो दुःख आपके ज़िन्दगी में आते ही रहेंगे, बस जैसे आप सुख और खुशिया स्वीकार करते है बस उसी तरह दुःख को भी अपना लीजिये उसका स्वीकार करिये.
दुःख कभी कभी बिना इंसान की गलती से भी हम पर टूट सकता है, लेकिन हमे दुःख से कमज़ोर नहीं होना है, तो अगली बार जब भी दुःख आपके जीवन में आये तब थोड़ा रोईए मन हल्का कीजिये, मुस्कुराइए फिर दुःख का स्वीकार कर के आगे बढिये क्यूंकि ख़ुशी और सुख अगले मोड़ पर आपकी राह देखहा है..
By Manoj Deshpande
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