By Kriti Chandawat
दूर बैठे भी , जो इतना ध्यान रखता है मेरा
अपनी प्यारी और नटखट बातों से , दिल बहलाता है मेरा।।
कभी उसकी बातों में , तो कभी उसकी शरारतों में
मिलती हूं उससे मैं , हर शाम सवेरे में।।
उसके प्यार भरे होठों से , मेरा नाम सुन कर
करती हूं दीदार उससे , छुप-छुप कर।।
जाहिर नहीं होने देता , वो अपनी ख्वाहिशों को
लेकिन संभाल लेता है , वो मेरे अरमानों को।।
पर एक दिन छुपके से , बयां की उसने अपनी चाहतें
दे गया मेरी बाहों को , सुकून सी वो राहतें।।
By Kriti Chandawat
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