By Chanda Arya
दो शब्द
कभी जो मौन को कर जाते
पल भर में खंडित,
बन जाते हैं अभिप्राय
किसी के जीवित होने का ।
वो दो शब्द
प्रायः जो दिखते निरर्थक
शून्य वातावरण में हो गुंजायमान,
मिटाते मृत्यु सी नीरवता
हो जाते पल भर में सार्थक।
वो दो शब्द
तोड़ देते निराशा की अंतहीन शृंखला
बना देते हैं एक,
प्रकाशवान पथ
आशा का टिमटिमाता सितारा।
वो दो शब्द
जिस पर चल कर,
अंत होता कोई जीवन पा लेता है
पुनः जीवित होने का नया सिरा
पुनः जी उठता है आशा का भाव भरा।
हाँ, वो दो शब्द
कर देते हैं मृत्यु के पथ को खंडित
थमा देते हैं नवजीवन का प्राण तंतु,
मन को कर जाते हैं विस्मित
स्मरण करा देते हैं जीवन का सही औचित्य
अंत नहीं है अभी करने हैं महान कृत्य।
By Chanda Arya
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