Sep 28, 20221 min readदोस्तीRated 0 out of 5 stars.No ratings yetBy KAUSTUBH MISHRAयूं तो अरमां -ए -मोहब्बत का वो घर भी काफ़ी बड़ा थापर इत्तेफ़ाक से तेरी उम्मीदों का शहर भी काफी बड़ा थासुपुर्द - ए - ख़ाक मुझे करने की तेरी तैयारी तो ख़ूब थीलेकिन मेरे दोस्तों की दुआओं का असर भी काफ़ी बड़ा था।By KAUSTUBH MISHRA
By KAUSTUBH MISHRAयूं तो अरमां -ए -मोहब्बत का वो घर भी काफ़ी बड़ा थापर इत्तेफ़ाक से तेरी उम्मीदों का शहर भी काफी बड़ा थासुपुर्द - ए - ख़ाक मुझे करने की तेरी तैयारी तो ख़ूब थीलेकिन मेरे दोस्तों की दुआओं का असर भी काफ़ी बड़ा था।By KAUSTUBH MISHRA
A Moment's PeaceBy Glen Savio Palmer Beneath a canopy of trees, aglow with lights of pink and plum, A bustling café stands, where evening's weary souls...
Roots and WingsBy Roy Harwani 'All I want to do is change the world!' I say with my emotions curled. Want to sing, want to dance, Want to find love, be...
Comments