By Satya Deo Pathak
मन के झरोखे से जो खुशियां चुरा ले,
उदास हो जो मन,
बातों से अपने मायूशियां मिटा दे।
बिन बातों की भी जो,महफिल जमा दे।
दोस्ती है वो जो हर गम भुला दे।
दोस्त हैं वो,
दोस्ती सा कोई मिठास नहीं होता।
रूठने पे जिनको मनाना नहीं पड़ता,
वक्त ना होने का जो बहाना नहीं करता,
राज़ कोई राज़ नहीं रहता,
बांट के खुशियां सुकून है आता,
साथ हैं वो तो गम नहीं आता,
दोस्त हैं वो,
दोस्ती सा कोई एहसास नहीं होता।
हो मन ये उदास, या खुशियों की हो बात,
मिजाज़ मेरा जो झट से बता दे।
हो खैरियत मेरी या हो तबियत,
हर रोज़ है पूछे, दर्द तन्हाइयों का मिटा दे।
हैसियत का नामोनिशान रह नहीं जाता,
दोस्त है वो,
दोस्ती कभी उम्रदराज नहीं होता।
By Satya Deo Pathak
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