By Dr. Shweta Singh
धरती और आकाश.. इनका रिश्ता है खास..
दूर हो कर भी.. हैं ये इतने पास..
जब आकाश भाव विह्वल हो जाता है..
धरती की प्यास बुझाता है
अपनी धरती से मिलने को..
बादल बन पर्वत पर झुक जाता है..
कभी नहीं मिलते फ़िर भी..
एक दूसरे से जैसे हैं ये एकदम मिले हुए..
क्या क्षितिज़ पर इनका मिलन कभी हो पाता है..
या ये भी एक अंतहीन इंतज़ार बन के रह जाता है… !!
By Dr. Shweta Singh
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