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नए सफर पर

By Prerna


आज जब पीछे मुड़े कर, देखते हैं तो,

यकीन नहीं होता कितने आगे निकल आए।

कल कहा थे और आज कहा चल आए।

कल क्या थे और आज क्या बन पाए,

आज बहुत आगे निकल आए, बहुत कुछ पीछे छोड़ कर ।



कल तक थे बच्चे , आज जवान हो गए।

कल तक थे कमजोर, आज मजबूत हो पाए।

काल तक थे बेफिक्र, आज ज़िमदेदार हो पाए।जिंदगी मैं आज हम कहा से कहा आ पाए।




कभी कभी सोचते हैं,

काश वो दिन कभी जाते ही नहीं,

हम कभी बड़े होते ही नहीं,

हम रहते वैसे हि बेफिक्र

ना आज की फिक्र, ना कल से कोई लेने,

और ज़िमदेदार कभी होते ही नहीं।



पर अब जब, बड़े हो हि गए हैं,

इतनी आगे आ हि गए हैं,

तो क्यों ना इन्हीं पलो को जी लेते हैं,

और रख कर पिछली बातो कि यादों को,

पीछे यादों के बक्शो मैं,

बड़े चलते हैं अब आगे, कुछ और नई,

बातो कि यादों को बनाने, नए लोगो से जुड़ने, उनके साथ नए किस्से बनाने,

फिर उने भी यादों के बक्शो में, कैद करने,

जिंदगी के नए किस्सों को, दिल के

हिस्सो मैं कैद करने। निकाल पड़ते हैं इस नया सफर पर, अपनी नई कहानी बनाने,

चलो चलते हैं अब इस नए सफर पर।।


By Prerna





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