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नज़र आता है..( ग़ज़ल)

By Archana S Singh


जब भी फ़लक पर माहताब नज़र आता है

मुझे मेरा एक अधूरा ख़्वाब नज़र आता है

कुछ सवालों की फेहरिस्त नज़र आती है

एक ख़ामोशी भरा जवाब नज़र आता है


सफ़र-ए-ज़िंदगी के इस कश्मकश में

उलझा हुआ एक इंकलाब नज़र आता है



सर्द सी पड़ी इन दिल की धड़कनों में

जलता हुआ आफ़ताब नज़र आता है


नज़र फेर लेते हैं फ़लक से फिर भी

अश्क़ों का क्यों सैलाब नज़र आता है..!


By Archana S Singh




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Urmila Singh
Urmila Singh
May 19, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Bahut sundar

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Sandip Singh
Sandip Singh
May 18, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

शब्दों की इस माला से तीव्र हो गई गति हृदय की,

इनमें मुझे जज़्बातों का एक सैलाब नज़र आता है॥

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