By Usha Lal
नारी तू तो सदा ही हारी !व्यर्थ ना जा खुद पर बलिहारी !
प्रथम नागरिक हो सकती है ,
अंतरिक्ष में उड़ सकती है,
उच्च शिखर पर चढ़
सकती है ,
पर तू केवल देह रहेगी 🥲
देह रहेगी तू बेचारी !
हर अवसर पर छली गयी है ,
महाभारत युग से अब तक तू
बार बार निवस्त्र हुई है 🥲
तेरी अस्मिता हर पल हारी🥲
क्रूर पशुओं ने अपनी कुंठा
तुझ पर ही हर बार उतारी!
भीष्म ,विदुर,धृतराष्ट्र ने सदा
चुप्पी रूपी सहमति धारी 🥲
तू किस भ्रम में है बेचारी ?
ना तू माँ ,ना बहन ,ना देवी
देह थी !है !और सदा रहेगी!
देह रहेगी तू बेचारी !!
By Usha Lal
Very nice 👍
Bबहुत
💯❤️
Bahut badhiya
Beautiful lines