By Ayushmaan Vashishth
अब तो बस दूर से देख के निभा रहे हैं
मन में तुझे बता के, खुद को समझा रहे हैं
मैं भी इधर ही हूँ, देख तो ले इधर
तेरी पीछे वाली कुर्सी पे उम्मीदें सजा रहे हैं
हर बात तूने उलझा रखी है
खुद का समय निकाल के सब सुलझा रहे हैं
तेरी कान की बालियां हो या वो चेहरे की हँसी
सब चीजों का अपने दिल में मंदिर बना रहे हैं
तू तो हाल भी नहीं पूछती हमारा
हम तेरे हाल पे खुद को बुझा रहे हैं
तेरेहालपेखुदकोजलारहेहैं
By Ayushmaan Vashishth
❤️❤️🤌🤌
Absolutely lobe this one, bhai!!♥️
🔥🔥🔥
❤️❤️❤️❤️
Aesthetic 🔥🔥