By Spoorthy Pateel
मुझे नहीं था विश्वास एक नज़र के प्यार में
पर मेरी वेहम तलि जब देखी तुम्हें पार में
मेरी दिल तो थम सी गई, आंखें नाम सी गई
जब पता चला की एक नज़र का प्यार, एक तरफा बन गई
बिगोयी है कई तकिये आंसू के सेलाब में
पर वो सेलाब भी बूंद सा दिखा मेरी जलती रूह में
नादान दिल मेरी अंगारो में राख हो गई
जब पता चला की एक नज़र का प्यार, एक तरफा बन गई
अरमाने देखे थे जिंदगी भर साथ निभाने
हाथ थामने, आंखों में आंखें डालने
पर वो अरमान शुरू होते ही खत्म हो गई
जब पता चला की एक नज़र का प्यार, एक तरफा बन गई
चीनी की मिठास भी कम सी लगती थी, तेरी मीठी बोली के सामने ,
तारों के भी चमक डल सि जाति थी, तेरी मुस्कान के सामने
पर मेरी ही उजाला अंधेरो़ में बदल गई
जब पता चला की एक नज़र का प्यार, एक तरफा बन गई
कई दिन गुजरी हैं बिना माने एहसास मेरी
पागल मन तब समझा जब किसी और को चाहा परछाई तेरी
किसी से भी रहो खुश रहो, तेरी खुशी में ही मेरी सुकन ढूंढ गई
हां अपना गयी की एक नजर का प्यार एक तरफा बन गई
By Spoorthy Pateel
अच्छी पंक्तियाँ... इसे जारी रखें|👍🏻👏✌🏻
Awesome poem❤️ keep rocking 👏
Nice ✨✨✨✨
superb stuff spoorthy!
Nice poem and meaningful grear job 👏👏👏✌