By Shivam Sarle
परी है या परियों की रानी है तू...
सदियों से उन ताम्रपत्रों पर लिखी हुई कहानी है तू।
कहीं माता,भगिनी,पुत्री तो कहीं सहपथगामिनी है तू।।
कभी हँसती-सी, गुनगुनाती-सी महलों की रानी है तू।
सिमटी-सी, सहमी-सी, तो कहीं वीरो में वीराणी है तू।।
कभी आँचल में दूध लिये आँखों मे पानी है तू।
इस मृत संसार में ज़िन्दगी की कहानी है तू।।
कहीं साक्षात है तो कहीं बस निशानी है तू।
जननी बन कहीं शिशु की पहली वाणी है तू।।
पहला कदम है या सिर की सिरहानी है तू।
कहीं भाई का रक्षास्त्रोत बनी भगिनी है तू।।
तो कहीं दो घरों को मिलाती गृहिणी है तू।
परी है या परियों की रानी है तू....
By Shivam Sarle
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