By Avaneesh Singh Rathore
क्या क्या तुमने खोजा है
क्या क्या ढूंढ धर लिया तुमने
क्या क्या तुम अब चाहते हो
क्या क्या तुम पा सकते हो
क्या कमा के रख लिया
देखो पिटारा खोल
किस कीमत में बिक जाओगे
देखो लगा के बोल
काक स्वान का जीवन है
कभी फटकार , कभी दुलार
दर दर भटके राह खोजे
एक मुसाफिर भरोसे दूजे
कण कण की गरिमा विभूत हुई
जब उसकी पूछ हुई
दरकती दीवारों से भी
घर की गरिमा वजूद हुई
जिस मंजिल पर निकले हो
वो मंजिल कण कण टूटी है
राह अकेले चले गए जो
मंजिल कण कण मिलती है
बताओ समय की गति क्या है
राजा रंक फकीर क्या है
बताओ किस माटी के पुतले हो
लहू अश्रु क्या नीर है
By Avaneesh Singh Rathore
Comments