By Rohit 'Lukad' Jain
जो पुरे परिवार की ज़िम्मेदारी बिन कहे ढ़ो लेता हैं,
अपने सारे सपने परिवार के लिए खो लेता हैं ।
चेहरे पे बिन जताये सबकी हँसी हस्ता हैं,
सबके आंसू रोता हैं, सबके दर्द सेहत हैं ।
बच्चों की एक मुस्कान में अपनी दिन भर की थकान मिटाता हैं,
अपना हर दर्द हर तकलीफ़ भूल बच्चों की हर बात सुनता हैं ।
अपने बच्चों की हर ख़ुशी के अधिवक्ता हैं,
ज़मीन पे भगवान का दिया एक फरिश्ता हैं ।
By Rohit 'Lukad' Jain
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