By Kuldeep Kumar
पीए साहब केलेंडर झड़काते हुए अपने नेता जी को बोले, ‘साहब दो अक्तूबर आ रहा है, तैयारी करली ना सर जी?’ साहब जी ने अपने समोसे की प्लेट को हल्का करने के बाद एक तरफ मुड़ी हुई कुर्सी को आराम देते हुए ठुसे हुए मुहँ में आवाज निकलने के लिए जगह बनाई और बोले, ‘ये दो अक्तूबर किस तारीख को आ रहा है इस बार?’ पीए ने भी अपना माथा पीटा और बोले, ‘हर बार की तरह इस बार भी दो अक्तूबर को ही है।’ ‘यार ड्राई डे इसी दिन ही होता है’, हाँ हाँ आया याद। नेता जी ने हामी भरी और बचा हुआ समोसा अपने गले से निचे उतार लिया। ‘तैयारी कर लेंगे यार कोई बात नहीं, बस स्टॉक पूरा कर लेना।’ नेता जी कुटिल मुस्कान में ये कह गये। पीए साहब भी बेचारे क्या करते? अब जनता ने अपना आशीर्वाद जो दिया था नेता जी को। किसी ने पहले जिनका नाम भी नहीं सुना था अब ऐसे नेता जी भी संसद में पहुंच गये क्यूंकि आजकल लकड़ी के साथ लौहा भी तैर जाता है। बेचारे पी ए साहब ने फिर हिम्मत की और बोले कि, ‘साहब, गाँधी जी और शास्त्री जी की जयंती है और इस बार तो स्वच्छता अभियान भी चला हुआ है, तो उसकी तैयारी की बात कर रहा था।’ ओह अच्छा अच्छा ! तो ये बात थी। इतना कहते ही नेता जी ने फिर से कुर्सी पर अपना भारी भरकम शरीर वापिस टिका दिया और कोल्ड ड्रिंक की बोतल को एक साँस में अपने पेट में जमा कर लिया। एक लम्बी ढकार के बीच में साँस लेते हुए नेता जी बोले, ‘ हाँ हाँ, हम भी स्वच्छता अभियान में अपना योगदान देंगे। तुम ऐसा करना कि उसी दिन मीडिया के अपने दोस्तों को बुला लेना, हम सबके सामने अपने दफ्तर के सामने झाड़ू लगा कर पूरे देश को स्वच्छता का उदहारण पेश करेंगें।' अब बेचारे पीए साहब भी सोचने लगे कि अगर ये लोग ही सफाई ढंग से करते तो आज देश का हाल यूँ खराब ना होता। ये लोग आते रहे जाते रहे, और दफ्तर में फाइलों का ढेर लगता चला गया, कभी किसी ने तो आजतक इन फाइलों की धूल तक तो साफ़ नहीं की। अब ये अचानक से मीडिया बुला कर ना जाने कौनसा नया उदहारण देने वाले हैं?
अब वो दिन भी आ गया और नेता जी अपने तय कार्यक्रम के अनुसार तय स्थान पर अपने तय समय से मात्र 3 घंटे की देरी से पहुंचे और सबको स्वच्छता पर एक लम्बा चौड़ा भाषण पेश कर डाला। लगता है कि इसी भाषण की तैयारी में ही इतना टाइम लगा दिया होगा। लेकिन आजकल फेंकने के लिए तैयारी करने की नही कोई जरूरत नहीं होती। पीए साहब ने एक नजर नेता जी के कपड़ों पर डाली और सोचने लगे कि आज स्वच्छता अभियान में तो कोई साधारण से कपड़े डालने चाहिए थे, ताकि सफाई के दौरान गंदे हों भी तो कोई बात नहीं। लेकिन यहाँ तो नेता जी ने बढ़िया सा कुर्ता पजामा डाला हुआ था। यहाँ पर तो पीए साहब भी कुछ समझ नहीं पाए। अबकी बार पीए साहब की नजर दफ्तर के बाहर उस जगह पर पड़ी जहाँ से स्वच्छता अभियान शुरू होने वाला था, ये जगह तो एकदम साफ ही थी। इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, नेता जी ने रामू को आवाज लगाई और रामू एक झाड़ू और एक बाल्टी ले आया। बाल्टी में कुछ कागज़ के टुकड़े थे जिन्हें लाते ही सड़क पर नेता जी के चरणों में गिरा दिए और झाड़ू नेता जी के हाथ में थमा दिया। नेता जी ने वही कागज़ के टुकड़े झाड़ू से समेट दिए और मीडिया वालों ने फोटो लेनी शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में नेता जी ने झाड़ू और बाल्टी फिर से रामू को सौंप दी और समोसों का ऑर्डर देते हुए दफ्तर की ओर रवाना हो गये। नेता जी भी खुश, मीडिया भी खुश, जनता भी खुश और शायद बापू जी भी खुश।
बुरा ना मानो, हो गया स्वच्छता अभियान।
By Kuldeep Kumar
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