By Hemant Singh Rajput
कोलकाता में कुछ दिन पहले जो हुआ उसने पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया है। इसने हमारे समाज और सिस्टम की नपुंसकता को एक बार फिर से उजागर किया है। ऐसी घटनाओं को लेकर सबके अपने विचार हैं, सबकी अपनी प्रतिक्रिया भी हैं। मुझे लगता है कि वह लड़की जिसने इस पीड़ा को साहा है उसने क्या सोचा होगा या सोच रही होगी….
पहले थोड़ी देर तक तो वह बचने के लिए चीखी होगी, मदद के लिए चिल्लाई होगी और फिर बाद में थक हार कर वह सोची होगी कि काश….
काश कि मैं घर चली गई होती,
काश कि मैं कहीं और सो गई होती,
काश कि में इतनी ईमानदारी से काम ना करती,
काश कि मैं भी बेईमानों की तरह आराम करती।
काश कि मैंने कुछ अलग कर लिया होता,
काश कि मेरे पास कोई हथियार होता।
काश कि इन दरिंदों में कुछ मानवता होती,
काश कि इनको औरत की इज़्ज़त करना सिखाई होती।
काश कि स्कूलों में केवल विषयों को ना रटाया जाता,
चरित्र कैसा हो यह आचरण में लाया जाता।
काश समाज में छोटी गलती पर ही सबक़ सिखाने का चलन होता।
लड़की कोई भी हो, उसकी इज़्ज़त करना पहला धरम होता।
काश कि क़ानून व्यवस्था मज़बूत होती,
और गलती करने वाले को समय पर सजा होती।
काश के न्यायालय में सही से न्याय मिल पाता,
कोई दरिंदा ऐसा सोचने से पहले ही घबराता।
काश कि इन जैसे दरिंदों का कोई साथ ना देता,
और कृष्ण बनके हर लड़की को कोई बचा लेता।
काश राम और कृष्ण के इस देश में राम और कृष्ण ही बनते,
दुशासन और रावण इस समाज में ना पलते।
बहुत सारे काश हैं जो ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देते हैं।
पैसे और पावर वाले लोग इसका फायदा उठा लेते हैं।
ऐसा सोचते सोचते उसकी दुनिया पृथ्वी से आकाश हो गई,
जीती जागती लड़की अब एक लाश हो गई।
अब वो ऊपर है, वहाँ से सब देख रही होगी,
अभी तक तो वो दुखी थी, अब हर पल रो रही होगी।
कहती होगी कि वाह क्या ग़ज़ब नाटक चल रहा है,
जिसने मेरे साथ ग़लत किया उसे तो बड़े बड़ों का संरक्षण मिल रहा है।
यहाँ तो मुझे ही ग़लत ठहराया जा रहा है,
जिसको सजा मिलना चाहिए उसी से परीक्षण कराया जा रहा है।
और जलना तो चिता चाहिए थी इन दरिंदों की,
यहाँ तो बस मोमबत्तियों को जलाया जा रहा है।
अरे वाह.. मुझे मारने वाला भी मोमबत्ती लेके चल रहा है,
ये सबूत जुटाने वाला तो सबूत मिटाने का काम कर रहा है।
अरे वाह.. मीडिया तो जमके TRP कमा रही है,
और काले कोट वाले की नीयत तो कोट से भी काली नज़र आ रही है।
कहती होगी कि, इन सब ढोंगियों के घर में भी तो बहन बेटियाँ होंगी,
पर शायद इनके लिए ज़्यादा ज़रूरी पैसों से भारी पेटियाँ होंगी।
यह सब देख कर सोचती होगी कि..
अच्छा हुआ मैं एक ही बार में मर गई, वरना ये सिस्टम तो मुझे हर रोज़ मौत देता।
मैं ज़िंदा तो रहती.. पर मेरा हर रोज़ रेप होता।
इस घटना से पूरे देश में आक्रोश है। उन सभी दरिंदों को जो ऐसा कृत्य करते हैं उन्हें सजा कैसी होना चाहिए इसपर लिखा है कि…
आज़ादी इतनी दो उसको कि साँसे भी काफी लगे।
सजा उसे ऐसी देना कि फांसी भी माफ़ी लगे।
By Hemant Singh Rajput
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