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प्रेम-विरह

By Seema CK


प्रेम भक्ति है। एक बार आपको किसी से प्रेम हो जाए तो फिर आपके दिल में उसके लिए प्रेम कम हो ही नहीं सकता, भले ही वह आपके साथ कितना ही अन्याय, कितना ही अत्याचार, कितना ही बुरा, कितना ही गलत क्यों ना करे लेकिन आप उसके लिए अपनी भावनाएं कभी नहीं बदल पाते क्योंकि प्रेम भगवान से भी बढ़कर होता है। ज़िंदगी में ऐसी स्थिति आ सकती है जिस वक्त आपका भगवान पर से भरोसा उठ जाए या उससे नफ़रत हो जाए लेकिन जिससे आप प्रेम करते हैं उसके लिए आपकी भावना कभी भी नहीं बदल सकती। उसके लिए प्रेम थोड़ा-सा भी कम नहीं हो सकता, चाहे कितने ही बुरे हालात क्यों ना हो जाए। अगर उस प्रेम में आपको दर्द भी मिल रहा है, वह इंसान आपको प्यार देने की बजाय अगर दुख भी देने लग जाए, तो भी आपके दिल में उस इंसान के लिए प्यार ज़रा-सा भी कम नहीं हो सकता क्योंकि प्यार एक ऐसा अहसास है जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता। इस ब्रह्मांड में हर चीज़, हर भावना खत्म हो सकती है मगर प्रेम नहीं क्योंकि प्रेम आत्मा में बसता है और आत्मा कभी भी खत्म नहीं हो सकती। जिससे आप प्रेम करते हैं आपकी पूरी श्रद्धा, पूरी निष्ठा, पूरी आस्था, पूरा समर्पण सिर्फ़ उसी इंसान के प्रति होता है। आपके लिए उससे अलग इस संसार में दूसरे किसी इंसान का अस्तित्व ही नहीं होता। वही आपके लिए सब कुछ होता है। सच कहूँ तो प्रेम भक्ति से भी बढ़कर है !!



प्रेम एक अनंत प्रतीक्षा है। “विरह” यानि “वियोग” प्रेम का अत्यंत आवश्यक पहलू है। विरह में ही प्रेम अपने निर्मल स्वरूप को प्राप्त करता है। जिस प्रेम में विरह का पहलू ना आया हो वो मात्र सांसारिक प्रेम है क्योंकि आध्यात्मिक और आत्मिक प्रेम में विरह का आना निश्चित होता है, तय होता है। जहां विरह घटित ना हुआ हो वहां प्रेम हो ही नहीं सकता। प्रेम का अस्तित्व ही विरह के साथ है। जो जितना विरह की गहराई में उतरता है वो उतना ही प्रेम की गहराई में उतरता है। विरह को अनुभव किए बिना प्रेम को अनुभव किया ही नहीं जा सकता। प्रेम किया नहीं जाता, प्रेम जिया जाता है और प्रेम को सच्चे अर्थों में वही जी सकता है जो विरह की परम गहराई में डूबा हो। इसलिए अगर प्रेम को जीना चाहते हो तो विरह को जिओ !!


प्रेम मुलाकातों का मोहताज नहीं होता। प्रेम विरह में भी एकनिष्ठ बना रहता है जो अनंत तक साथ चलता रहता है। प्रेम में शरीर का कोई महत्त्व नहीं होता। प्रेम कभी भी शरीर से नहीं होता। प्रेम तो आत्माओं का विषय है। शरीरों की दूरी को आत्माओं की दूरी नहीं कहा जा सकता। शरीर बिछड़ सकते हैं मगर आत्माएं नहीं। संयोग में मिलन में प्रेम असीम होता है और विरह में वियोग में प्रेम अनंत होता है। प्रेम की गहराई का अंदाज़ा उस प्रेम में मिलने वाले दुःख से लगाया जा सकता है। सच्चा प्रेम आपको हद से ज़्यादा दुःख देता है। दुःख, दर्द, तकलीफ़, आँसू, पीड़ा, वेदना ये सब सच्चे प्रेम में समाहित हैं। दुःख के बिना प्रेम का कोई अस्तित्व नहीं। खुद के अस्तित्व को हमेशा के लिए मिटा देना ही प्रेम का अर्थ है। प्रेम एक चामत्कारिक शक्ति है और विरह प्रेम का एक अभिन्न और आवश्यक अंग है !!


By Seema CK




 
 
 

133 comentários

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Membro desconhecido
11 de out. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

युवा पीढ़ी को प्रेम का असली अर्थ समझाने वाली एक रचना

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Membro desconhecido
11 de out. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेम पर एक अच्छी लेखनी

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Membro desconhecido
11 de out. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

Nice content for all age

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Membro desconhecido
11 de out. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

This content can teach true meaning of

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Membro desconhecido
11 de out. de 2023
Avaliado com 5 de 5 estrelas.

Interesting

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