By Bushra Benazir
आज दुनिया भर में
हर च़ीज़ नापने की मशीन है
क्या इस दुनिया में
दिमाग़ पर कितना प्रेशर है
उसको नापने की कोई मशीन है
जहाँ देखो प्रेशर ही प्रेशर है
कहीं जाब का प्रेशर
कहीं बेरोज़गारी का प्रेशर
कहीं गरीबी का प्रेशर
कहीं रिश्तों का प्रेशर
कहीं पढ़ाई लिखाई का प्रेशर
अलीफ से यें तक
ए से बी तक
क से ज्ञ तक
प्रेशर ही प्रेशर
इन सारे प्रेशर से छुटकारे का
ऐसा कुछ बदक़िस्मत कुन्बा
एक ही तरीक़ा आज़माता हैं
सुसाइड कर अपने आप को
हर प्रेशर से निजात दिलाता हैं
मगर उसका ये छुटकारा
उसकी रूह को मंहगा पङ जाता है
न वो दुनिया का रहता है
न भगवान का रहता है
अरे करे भी तो क्या करे
कोई ऐसी मशीन नहीं जो
दिमाग़ी प्रेशर नाप सके
कोई ऐसी ज़मीन नहीं
जहाँ जाकर अपना
सारा प्रेशर गाढ़ सके
प्रेशर देने वाला ओ प्रेशर सहने वाला
न चाहकर भी साथ रहता हैं
जाने क्यों
जाने क्यों
उन समझौतों को निभाता हैं
ये समाज का बंधन है या मजबूरी
या सिर पर लदी हैं हज़ारो ज़िम्मेदारी
थोङा समाज भी अदाकार है
तो ज़्यादा बेङियाँ ज़िम्मेदार है
हाय अफसोस पिसता पर वही है
जो उठाता हर ज़िम्मेदारी ओ ख़ामोश है
काश
कोई ऐसी मशीन होती
जिससे नापने पर ये ख़बर होती
इससे ज़्यादा प्रेशर पडा तो
ये मर जायेगा या सुसाइड कर लेगा
सारे मैक्निकल इंजीनियर
आज बेरोज़गार है
बेचारे ख़ुद प्रेशर का शिकार है
न डिग्री किसी काम की है
न पढ़ाई किसी काम की है
पढ़े लिखो से बेहतर अनपढ़ यहाँ बहाल हैं
By Bushra Benazir
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