By Kaustubh Rajendra Dherge
खूबसूरत होते थे वो बचपन के पल, जिन्हे तुम कभी भुला नहीं पाते |
चाहे कितनी भी कोशिश करलो वो दिन कभी वापस नहीं आते ||
तन्हाई छा जाती है मन में, जो बचपन के किस्से हे याद आते |
चाहे कितनी भी कोशिश करलो वो दिन कभी वापस नहीं आते ||
दोस्तों के साथ बिना किसी स्वार्थ के मारे हुए वो गप्पे, है अभी याद आते |
चाहे कितनी भी कोशिश करलो वो दिन कभी वापस नहीं आते ||
भोले मन से तो आप कभी कुछ बोलो तो, दो अर्थ नहीं थे निकाले जाते |
चाहे कितनी भी कोशिश करलो वो दिन कभी वापस नहीं आते ||
स्कूल के पहले दिन जो में रोया था, उसकी झलक तो दसवीं कक्षा के आखरी दिन भी आती है |
चाहे कितना भी कोशिश करलो वो ज़िन्दगी वापस कभी नहीं आती है ||
बचपन में जो कहते थे बड़े होकर ये करेंगे वो करेंगे, वो पल है अभी याद आते |
चाहे कितनी भी कोशिश करलो वो बचपन के वो पल कभी वापस नहीं आते ||
By Kaustubh Rajendra Dherge
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