top of page

बरसो के बाद

Updated: Apr 5, 2024

By Mogal Jilani


कई बरसो के बाद आज उनको देखा तो

उमट कर वो सारी बात याद आ गई


जो सोचा था मिलूंगा तो पूछूंगा किसी दिन

पर मिलते ही वो पूछ बैठी तुम कोन हो

और में खामोश रह गया



कहे तो सकता था वो सारे सच मगर मेने

उसकी मासूमियत को मुर्जाना नही चाहा


कर तो सकता था सर-ए-बाज़ार मगर मेने

उसकी बेवफायी को सरेआम करना नही चाहा

और में खामोश लौट गया


By Mogal Jilani



15 views2 comments

Recent Posts

See All

The AD's

By Neev Aradhana Suresh --- 💎 💎 💎 --- If you’re bad, I’ll be really sad. You’ll also make me mad, So I’ll have to call your dad. He’ll...

नव्या कविता…

By Saili Parab गीत मनीचे माझ्या, येई तुझ्या ओठांवर, स्वर छेडिता मी, रचिलेस काव्य तू मनोमनी… असे वाटेवरी चालताना, पावलखुणा तू उमटवल्यास,...

An Ode To A Longest Winter

By Leena Afsha Ishrot My heart leaks with the blood engraved by the patterns of your name  Every time I hear my cellphone buzzing,  I...

2 Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
Istiyak Mogal
Istiyak Mogal
Sep 19, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Bahetrennnnnnnnnnn👌👌👌👌👌

Like

Mako Maku
Mako Maku
Sep 18, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Sareaam karna Nahi Chaha

Kya Chahat He Saab Bahot Sahi

Kya

Like
bottom of page