By Ojeshwini Rajput
आओ तुम्हें बसंतर के रणांगण का दृश्य दिखलाती हूँ,
भारत के उन वीरों का जंगी मिज़ाज बतलाती हूँ।
इकहत्तर जिसके स्वर्णिमविजय पर तुम, हर्षोलास मनाते हो;
उसके पीछे के साहस का मैं तुमको, इक व्रतांत बतलातीहूँ ॥
नापाक प्रयोजन लेकर जब बैरी,बसंतर पर आकर छाए थे;
सत्रा-पूनाहॉर्स के वीर भी तब उनसंग रणांखेट खेलने आएथे।
तेरा-लेन्सर के पैटन ले अरीदल, ब्रिज-हेड संघारने आए थे,
किंतु भारत के वीरों से वे पार कभी ना पाए थे ॥
परमवीर-खेत्रपाल जब उनके समक्ष आए थे,
भीषण गोलाबारी में भी वे युद्ध भारत-पक्ष कर लाए थे।
अग्नी-अर्घ टैंक हो धधका, फिर भी ना घबराएँ थे,
अंतिम-स्वास देह में जब-तक,तब-तक लड़कर आएथे ॥
इसप्रकार भारत के नाम विजय ये,
पराक्रमी वीर कर आएथे।
कुछ इसप्रकार ही,शौर्य भारत का ,
ये इति-पृष्ठ-अमर कर आएथे ॥
By Ojeshwini Rajput
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