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बालकनी में चर्चा गर्म है

Updated: Jan 18




By Nandlal Kumar


इस कविता को लिखने की प्रेरणा मुझे इतिहास की उस घटना से मिली है जब फ्रांस की राज्य क्रान्ति के समय महारानी अपने किले के ऊपर थी और जनता ने किले को घेर रखा था। महारानी का खानसामा उनके साथ था। महारानी ने पूछा, "ये लोग हल्ला क्यों कर रहे हैं?" खानसामे ने जबाब दिया,"ये लोग काम माँग रहे हैं।"

"मैं तो कोई काम नहीं करती फिर भी मैं तो हल्ला नहीं करती हूँ। इन्हें कहो शान्त हो जाएं।"

'मैडम इनका कहना है काम नहीं देते हो तो रोटी दो।"

"क्या इन्हें रोटी नहीं मिलती है?"

"नहीं"

"तो इन्हें केक खाने कर लिए कहो। मैं तो रोटी नहीं खाती फिर भी हंगामा नहीं करती।"

….तो महरानी को पता नहीं था कि उनकी जनता किस हाल में है। कमोवेश यही स्थिति आज भी है। गरीब देश के शासकों को आज भी पता नहीं है कि उनकी जनता किस हाल में जीती है। हम केवल गरीबी की चर्चा करते हैं....



"बालकनी में चर्चा गर्म है"


बालकनी से रोटी 

लपका एक लड़का 

पीछे से कुत्ता 

रोटी....

लड़के के हाथ में 

हाथ....

कुत्ते के मुंह में

बालकनी में चर्चा 

"गरीबी है"...."गरीबी नहीं है"

नीचे .... कुत्ता है …. लड़का नहीं है ।


By Nandlal Kumar






 
 
 

8 comentarios

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Gameger
Gameger
17 ene
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

💫✨

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Obtuvo 5 de 5 estrellas.

The message in this is so meaningful

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Trisha
Trisha
16 ene
Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Kudos to you for this brilliant piece.

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Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Your work inspires me

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Obtuvo 5 de 5 estrellas.

Damn

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