By Darshita S
इस दुनिया में मेरी इज़्ज़त का क्या मोल है
एक कहानी मै भी हूँ उसका क्या कोई तौल है
सड़कों पर नज़र झुका के चलु तो भी उठा क चलु तो भी
नीरस दुनिया और उनके मकरूह ख़यालात दिखे
बिकती ज़िन्दगी और मायूस चेहरे आज कल का नया माहौल है
किसकी कहानी सच्ची किसकी झूठी यही बड़ा झोल है
एक बावरी बंजारन की इज़्ज़त का इस दुनिया में क्या ही मोल है
By Darshita S
Comentarios