By Meghna Dash
इंतज़ार कर रहा
वक्त में बीत रहा
ज़िंदगी चलने को कह रही
अनसुनी कर मैं बस,
इंतज़ार कर रहा
वक्त में बीत रहा ।
न जाने किसकी खोज में
किस उम्मीद की चाहत में
ज़िंदगी जीने को कह रही
मुझको चलने को कह रही
अनसुनी कर मैं तो बस,
इंतज़ार कर रहा
वक्त में बीत रहा ।
जाना है भी तो कहाँ जाऊँ
देखने को कुछ बचा नहीं
सब है तो मेरे अंदर ही
मुझसे दूर कहाँ है कोई
पर ज़िंदगी नामंजूर कर रही
मुझको आगे बढ़ने को कह रही
अनसुनी कर हर बार की तरह,
मैं बस इंतज़ार कर रहा
वक्त में बीत रहा
By Meghna Dash
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