By Prabhneet Singh Ahuja
तेरे लबों का सुरूर,
तेरे चेहरे का नूर
तेरी आँखों की चमक,
तेरे कदमों की भनक
यूँ बेबस हुआ बैठा हूँ।
तेरी ज़ुल्फ़ों का कहर,
तेरी बातों का ज़हर
तेरे रुख़्सार की लाली,
तेरी खुदगर्ज़ बेख़याली
यूँ तेरे वस्स हुआ बैठा हूँ।
मेरे जिस्मानी ख़यालात,
मेरी जज़्बाती सबात
मेरी हस्ती का ख़ोट,
मेरे तरसे हुए होंठ।
तेरी साँसों की नमी,
मेरे लफ़्ज़ों की कमी
तेरी आसमानी दिलकशी,
मेरी इंसानी बेकसी।
बस तेरे इंतज़ार में;
इंतज़ार-ए-आलम फज़्ल में बैठा हूँ।
By Prabhneet Singh Ahuja
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