By Virendra Kumar
हुंकार भर आह्वान पर ,
वो चल पड़े जयकार कर,
शेरों की भांति तेज़ सर,
वो बढ़ चले बिल्कुल निडर,
हो अनगिनत दुश्मन तो क्या,
हर एक भारी सौ-सौ पर,
देश की जो शान ख़ातिर,
तैयार कट जाने को सर,
ना एक कतरा देश का,
जाएगा सीमा से उधर,
चट्टान जैसे ये खड़े,
टकराए जो जाए बिखर,
सब हैं सुरक्षित देश में,
चौकन्ने ये चारो पहर,
हे भारत माता के सपूत,
शत-शत नमन तुमको प्रखर l
आकाश इनका ओर है,
पाताल तक ना छोर है,
क्या घेरेगा दुश्मन उन्हें,
जो तूफ़ाँ भी देते मोड़ हैं,
हो प्रेम तो ये प्यारे हैं,
सिद्धांत पर पग डारे हैं,
हो धीर तो ये शांत हैं,
वर्ना प्रचंड विक्रांत हैं,
ऐ दुश्मन समझ से काम ले,
क्षण है जो पग को थाम ले,
मैत्री को ये तोड़ें नहीं,
पर छल हो तो छोड़ें नहीं,
इतिहास के पन्नों पे ये,
कर जाते हैं अपना असर,
हे भारत माता के सपूत,
शत-शत नमन तुमको प्रखर l
By Virendra Kumar
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