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भारतीय किसान

Updated: Jan 18


By Sagarika Roy


मैं किसान हूं ,

मैं भारतीय किसान हूं ।

मैं खाद्यान्न उपजाता हूं ,

दो जून सूखी रोटी खाकर,

श्रम के बिस्तर पर,

स्वेद की चादर ओढ़कर ,

सपनों की रिक्तता के साथ,

गहरी मीठी नींद सो जाता हूं ।

मैं किसान हूं,

मैं भारतीय किसान हूं।

दो जून सूखी रोटी ही ,

मेरा आहार है,

या शायद मेरी संतुष्टि,

या फिर बन चुकी आदत ,

या फिर मेरी अंतरात्मा __

मेरे ईश्वरीय अंश की आवश्यकता 

कि स्वयं आधा पेट खाकर ,

सभी को भरपेट अन्न दे सकूं ।

जब तक सोचा ना जाए ,

नया बिल लाया ना जाए ,

सही धारा बनाई ना जाए ,

दो जून सूखी रोटी से ही ,

पूर्ण संतुष्टि पाता हूं,

या फिर थक हार कर ,

चोट खाकर हजारों ,

मैं भारतीय किसान,

फंदे से झूल जाता हूं,

मैं ही अन्नदाता हूं ,

यह भूल जाता हूं,

बस फंदे से झूल जाता हूं।

By Sagarika Roy



 
 
 

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