By Meghna Dash
रात भर जग-जग के पढ़ना
कल क्या पढ़ाना है ये सोचना।
ज़हन में रहे सदा, हम इनके
नाम करे ज़िंदगी अपनी, हमारे।
बिना शिकवा करे, रोज़ है आते
सिखा कर हमें, पंख दे जाते।
सदा सुनते हर बात, हमारी
समझके सुलझाते हर गुत्थी हमारी।
उड़ान में थामते हैं, हाथ हमारा
हॅंसते-मुस्कुराते, मनाते जीत हमारी।
न जाने क्यों,
न जाने क्यों सब कुछ कर जाते
आगे बढ़ाकर, खुद पीछे रह जाते।
पहचान ही क्या, सम्मान भी ना मिले
भूल जाते हम बनकर कुछ, इन्हें ।
चलो आज वादा करें हम
ना छोड़ेंगे, इनका साथ कभी
कुछ कर जायेंगे, कुछ बन जायेंगे
रौशन करेंगे जग में, इनका नाम हम।।
By Meghna Dash
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