By Vanshika Rastogi
मजबूरी में साथ होने से लेकर,
मजबूरी से साथ होने का सफर,
हम कुछ इस तरह तय कर लेते हैं।
कि पता ही नहीं चलता,
यह सफर हमने अकेले शुरू किया था।
और हाथ पकड़कर चलते-चलते,
पता नहीं कब हाथ छोड़कर चलने लगते है,
कि लगता हि नहीं, कभी हमारे कदम,
एक साथ, एक दिशा में चले भी थे।।
By Vanshika Rastogi
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