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माँ भारती

By Shivam Sarle


बंदूकों की नोक पर ये जान हमने वार दी।

धन्य हैं जो जन्मे तेरी गोद में माँ भारती ।।


हर घड़ी मैं हर प्रहर बस माँ तुझे नमन करूँ।

शून्य भय हो आँखों में काल से भी न डरूँ।।

ये सर्द क्या ये गर्म क्या सरहद पर तेरी मैं खड़ा।

जब भी बुलावा आया माँ सीना ताने मैं लड़ा ।।

हैं अनंत शब्दों में माँ होती तेरी आरती ।

धन्य हैं जो जन्मे तेरी गोद में माँ भारती ।।१।।


सरहद पर रह के हमने बात ये है जानली ।

इन आंतरिक दुष्टो से वो बाहरी है मामूली ।।

दुश्मन है वो दुश्मनी जी-जान से निभाते हैं।

दोस्त होकर भी ये हमें क्यूँ छल जाते हैं ।।

काम क्या- लोभ क्या जो तू हमें संवारती ।

धन्य हैं जो जन्मे तेरी गोद में माँ भारती ।।२।।


बीते लम्हों के लिए ना पास मेरे वक्त हैं।

रग में जो ना खौले पानी है ना कि रक्त हैं।।

जितना भी गाऊँ तेरी गाथा लगता बस अल्प हैं।

सब कुछ दिया माँ तूने, तू वृक्ष मेरा कल्प हैं ।।

रंगरूप वेशभूषा सबको सम है मानती ।

धन्य हैं जो जन्मे तेरी गोद में माँ भारती ।।3।।


बंदूकों की नोक पर ये जान हमने वार दी।

धन्य हैं जो जन्मे तेरी गोद में माँ भारती ।।


By Shivam Sarle

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