top of page

मृत्यु शैया

By Swayamprabha Rajpoot (Alien)


ना जाने क्यों हर रात्रि ये शयन कक्ष मृत्यु शैया लगती है मुझे...

भवसागर से पार कराये,वही खेवैया लगती है मुझे...

ये सत्य अटल ना जाने क्यों हिय बार बार दहलाता है...

पुनः पुनः जीवन सारांश नयनों में दर्शाता है...

प्रतिवर्तित कर पाती जीवन,यदि ये सामर्थ्य मुझमे होता...

ईश्वर जितना ईश्वर में है, उतना मेरे भीतर होता...

गर काया परवर्तित भी हो,तो धैर्य मेरा क्यों खोता है...

गीता कथन सदा से हैँ जो ईश्वर चाहे,होता है...

यही शैया यदि प्रातः में मेरी मृत्यु शैया होगी...

आत्मा मेरी ईश्वर में, मुख में गंगा मैया होगी..

मौत प्रश्न से मौत का उत्तर देखो कैसे आता है...

मौत-जन्म देगा कब कैसे जाने वही विधाता है..


मृत्यु शरीर की होती है, मन मंद मंद मुस्काता है..

जीवन भर का द्वन्द, मृत शरीर में ही मर जाता है..

परिवार-जन भी अग्नि देकर खुद की शुद्धि करते हैँ...

वो परमपिता परमेश्वर हैँ,जो सबकी स्मृति हरते हैँ.

उस परमपिता से मिलने में, मन को फिर कैसी बाधा है?

क्या प्रियजन कोई पृथ्वी का, उस प्रियतम से भी प्यारा है?

अब किंचमात्र भी चिंतन क्यों, गर यही मृत्यु शैया होगी..

ये संभव है ये रात्रि मेरी शायद अंतिम रात्रि होगी...

यदि ये कल होना भी है तो अब ना व्याकुल हिय होगा...

कल की चिंता वही करेंगे जिनसे अब कल्कि होगा..

मौत प्रश्न से मौत का उत्तर देखो कैसे आता है..

मौत - जन्म देगा कब कैसे जाने वही विधाता है.


By Swayamprabha Rajpoot (Alien)

0 views0 comments

Recent Posts

See All

School

By Rohit Singh बचपन - ये शब्द ना बहुत सी या दें, बहुत सी कहा नि याँ सबको बयाँ करता है ना को ई टेंशन, ना को ई आगे की चि न्ता । वो दि न भी...

Optical Illusion

By Vritti Seth Some eyes are beautiful, Some eyes are deep, Some are so colourful, Some are just bleak.  A complicated life, With a...

Ladka

By Rohit Singh ये एक छो टी सी कहा नी है, एक लड़के की जि न्दगा नी है, एक लड़के की ही ज़ुबा नी है।। पहली बा र जब वो दुनि या में आया , यहाँ...

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page