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मेरा इक अनदेखा चेहरा

By Anju Kalra


मेरा इक अनदेखा चेहरा,

जो अब तक आँखें मूँदे था ।

धीरे-धीरे हिम्मत कर के,

अपनी आँखें खोल रहा है ॥


पहले इस को सुन कर भी मैं,

जाने क्यूँ ना सुन पाती थी ।

अब ये फिर से धीरे-धीरे,

मुझसे कुछ-कुछ बोल रहा है ॥


ये मुझसे जो भी कहता था,

झर-झर आँखों से बहता था ।

अब ये अपने शब्द रूप में,

कानों में रस घोल रहा है ॥



ये मुझमें मेरा ही बन कर,

जाने क्यूँ छिप कर बैठा था ।

पर अब तो ये सम्मुख आ कर,

मन के पर्दे खोल रहा है ॥


अब तक इसको ना देखा था,

अब तक इसको ना जाना था ।

हर पल मेरे साथ ही था पर,

जाने क्यूँ ना पहचाना था ॥


इसको सुन कर इसके मुख से,

अब जा कर ये राज़ खुला है ।

जाने कब से मेरा बन कर,

मेरे सुख-दुःख तोल रहा है ॥


By Anju Kalra




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Sachit Kochhar
Sachit Kochhar
Jun 07, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

अति सुंदर विचार

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Rated 5 out of 5 stars.

Beautiful thoughts expressed so creatively

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Anita Sethi
Anita Sethi
Jun 06, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Nice one

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Tarandeep Singh
Tarandeep Singh
Jun 06, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Nice one ❤️❤️

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Gaurav Kainth
Gaurav Kainth
Jun 06, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

Beautiful lines

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