By Pankaj Pahwa
जो मांगी उसने कभी मदद, लेकिन न कर पाया गर मैं,
समझा मेरे हालातों को, था मुंह न उसने फेरा,
वो बस एक दोस्त है मेरा,
ये रिश्ता नहीं है कुछ पल का, है बरसों का न है कल का,
जिससे मेरे याराने के अब, साल हो गए तेरह,
वो बस एक दोस्त है मेरा,
हालात कभी कुछ ऐसे थे, न घर जाने के पैसे थे,
बदली किस्मत विदेश का जिसके साथ लगाया फेरा,
वो बस एक दोस्त है मेरा..
फिर एक समय ऐसा आया, सर काल हमारे मंडराया,
शायद जिसके कर्मों ने भोले, दर दिखलाया तेरा,
वो बस एक दोस्त है मेरा..
क्या इससे ज्यादा और लिखूं, ऐ दोस्त तुझे मैं लिख ना सकूं,
दिल से देता हूं धन्यवाद, जो साथ निभाया मेरा,
तू बस एक दोस्त है मेरा, तू बस एक दोस्त है मेरा,
वो बस एक दोस्त है मेरा..
वो बस एक दोस्त है मेरा..
By Pankaj Pahwa
Comments