By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)
मुझे शौक है सभी को अपनाने का
लिखावट हूं अपने ही अल्फाजों का
मुझे तो ठुकराया ये ज़माने ने जानी
मेज़बान हूं अपने ही अल्फाजों का ।
By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)
By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)
मुझे शौक है सभी को अपनाने का
लिखावट हूं अपने ही अल्फाजों का
मुझे तो ठुकराया ये ज़माने ने जानी
मेज़बान हूं अपने ही अल्फाजों का ।
By Sheikh Wasim Mustafa (Sheikh Sahab 007)
By Vaishali Bhadauriya वो हमसे कहते थे आपके बिना हम रह नहीं सकते और आज उन्हें हमारे साथ सांस लेने में भी तकलीफ़ होती...
By Vaishali Bhadauriya उनके बिन रोते भी हैं खुदा मेरी हर दुआ में उनके कुछ सजदे भी हैं वो तो चले गए हमें हमारे हाल पर छोड़ कर पर आज भी...
By Vaishali Bhadauriya इतना रंग तो कुदरत भी नहीं बदलता जितनी उसने अपनी फितरत बदल दी है भले ही वो बेवफा निकला हो पर उसने मेरी किस्मत बदल...
Comentarios