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मेरे घर नन्हा मेहमान आया है

By विकाश कुमार भक्ता


नौ माह रहा हर पल जुड़ा,

तन से जुड़ा, मन से जुड़ा,

खुली आंखों में सपने दिखाकर,

खुशियों की सौगात वो लाया है,

मेरे घर नन्हा मेहमान आया है।


कई रातों की नींद उड़ाई,

कई दिनों को बेचैन किया,

कभी मतली आई, कभी दर्द सहा,

हर दिन उसने सताया है,

मेरे घर नन्हा मेहमान आया है।



रक्त से अपने सींचा मैने,

अंश है वो तन का मेरे,

गर्भ में लेकर अंगड़ाई उसने,

जाने कितनी बार हर्षाया है,

मेरे घर नन्हा मेहमान आया है।


स्पर्श उसका पाने को,

हृदय से उसे लगाने को,

जी मचलता था कई बार,

देखो, आज गोद मे आया है,

मेरे घर नन्हा मेहमान आया है।


रूप है उसका मुझसे मिलता,

रंग है उसका मुझसा खिलता,

हरकतें उसकी जानी - पहचानी सी,

यूं लगता खुद को ही पाया है,

मेरे घर नन्हा मेहमान आया है।


By विकाश कुमार भक्ता





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