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मैं और तू

Updated: Jan 18


By Sagarika Roy


  मैं और तू 

मां ,मैं मुक्त हूं,

और तू बंधन में,

मैं उन्मुक्त हूं ,

और तू क्रंदन में ।

मैं अमरलोक में,

तू मृत्युलोक में।

मैं प्रकृति के कण - कण में ,

तू सृष्टि के सीमित जीवन में।

मैं अनंत यात्रा कर चुका ,

तुझे अब भी पग बढ़ाना है।

मैं परमात्मा में समा चुका ,

तुझे मुझमें ही समाना है।

मैं अमरत्व पा चुका ,

तू नश्वरता को ताक रही ।

मैं मुक्त गगन में उड़ चला ,

तू अब भी ओट से झांक रही।

तू दे मुझे एक बार आवाज ,

मैं देता हूं मधुर स्वर ।

तू मुझमें आ जा समा ,

मैं अनिरुद्ध तेरा ही ईश्वर ,

मैं अनिरुद्ध तेरा ही ईश्वर।।

By Sagarika Roy



 
 
 

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