By Yaduraj Singh
तू सरगम सी मीठी रागनी ।
मैं डम डम डम डम डमरू हूं।।
तू वंजर में लता पड़ी।
मैं रिम झिम रिम झिम बारिश हूं।।
तू झितिज सी दूर बड़ी।
मैं उड़ता फिरता नभचर हूं।।
तू दिशाहीन सी बीच खड़ी।
मैं पग पग चलता राही हूं।।
तू गुमसुम सी बैठी रहती।
मैं हंसी ढीढोली करने आया हूं।।
तू जीवन से रूठी बैठी।
मैं तुझे मनाने आया हूं।।
मैं तुझे मनाने आया हूं।।
By Yaduraj Singh
Comments