By Shivam Sarle
मैं पुराना गीत कोई, वो नए दौर की रानी है।
उसमें लहरों सा चंचलपन, मुझमें झील सा पानी है।।
मैं सीधा-सादा लड़का हूँ, वो नख़रे करते रहती है।
मैं उसमें जीते रहता हूँ, वो मुझपर मरते रहती है।।
मैं उसको लिखते रहता हूँ, वो मुझको गाते रहती है।
पूरे दिनभर की वो बातें करती, साँसे तक न लेती है।।
हर दिन उसका होते रहता हूँ, वो मुझपे हँसते रहती है।
हर रात उसमें सोते रहता हूँ, वो मुझमें जगते रहती है।।
By Shivam Sarle
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