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यह युद्ध कैसा हैं

By Jai Kishor Mandal


देखो इस शिक्षित और सभ्य समाज को,

कैसे मार रहा हैं ये इंसानों को।


हमें हमेशा मानवता को अपने मन में रखना चाहिए,

इसके लिए बम और मिसाइल का प्रयोग नहीं करना चाहिए,


यह युद्ध कैसा हैं,

जिसमें नुकसान मानव का हैं।


हमने पहले भी कई भयानक परिणाम देखे हैं,

युद्ध में कई लाख निर्दोष लोग मरते हैं।


शांति स्थापित करने के लिए युद्ध आवश्यक नहीं है, 

हर बात पर मिसाइल और बम की धमकी देना ठीक नहीं है।


हर समस्या का समाधान है,

तो फिर ये आपस में युद्ध क्यों हैं।


हमने महात्मा गांधी और लूथर किंग को पढ़ा है, 

फिर हमने इतने हथियार और बम क्यों इकट्ठा कर लिए हैं।


 हम हर मुद्दे पर अहिंसा-अहिंसा कहते रहते हैं,

 फिर हम इस युद्ध को क्यों अपनाते हैं। 


कोई है जो मानवता के विनाश को रोक सकता,

फिर ये युद्ध कैसे हो सकते हैं। 


जो दिल से शांति और अहिंसा में विश्वास रखता है,

वो कभी भयानक युद्ध को अपना नहीं सकता हैं।


 पहले और दूसरे विश्व युद्ध से हमें क्या मिला,

 मानवता नष्ट हो गई और इस युद्ध से हमें क्या मिला। 


फिर यह युद्ध कैसा हैं,

जहाँ मानवता का विनाश होता हैं।


ईश्वर द्वारा दिया गया यह सुंदर जीवन,  

खत्म हो गया युद्ध में जिसका जीवन।

यूक्रेन और रूस के युद्ध से हमें क्या मिल रहा है, 

बस शवों की गिनती ख़ूब हो रही हैं। 


ये बातचीत का दौर कब तक चलेगा,

यह युद्ध कैसा हैं इंतज़ार और कितना होगा।


हमें जीने के लिए भगवान से जीवन मिला है,

हम इसे युद्ध के मैदान के लिए खत्म कर रहे हैं।



आखिर मानवता का विनाश कब तक होगा,

यह युद्ध कैसा हैं जिसका अंत कब होगा।


जब मंदिर, मस्जिद और चर्च हैं तो फिर,

उसके बगल में मिसाइल और बम की फैक्ट्रियां क्यों हैं।


ये मुद्दा बहुत गहरा है कि इसकी जरूरत क्यों है,

बमों का इस्तेमाल मानवता के लिए सही नहीं है।


एक प्रयास एक कदम इस मानवीय विनाश को रोक सकती है,

दिल यहाँ भी है और दिल वहाँ भी है फिर ये युद्ध क्यों नहीं रुक सकती हैं।


युद्ध ने हम सबको कमज़ोर कर दिया है,

मन में एक भयानक तस्वीर पेश कर दिया है।


इन प्यारे इंसानों का खून लाल है,

जहाँ भी गोली चले खून ही खून है।


पूछो उन बच्चों से कि उन्होंने क्या-क्या झेला है,

जिस युद्ध ने उनके माता और पिता को छिना हैं।


कितना भयावह मंज़र देखा होगा उन्होंने,

जब उनके माता-पिता युद्ध में मारे गए होंगे।


ये मानवता का कैसा युद्ध है,

जिसमें जीवन समाप्त है।


हम सबको मिलकर आगे बढ़ना है,

हम सबको युद्ध न करने की शपथ लेना है।


हमें मानवता के कल्याण के लिए काम करना है,

हमें मानवता के अस्तित्व के लिए खुद को अच्छा बनाना है।


कितना भयावह मंज़र हैं युद्ध यह,

जब शहर में गिरता हैं युद्ध का बम यह ।


शव कई टुकड़ों में बिखर जाते हैं,

इस मुसीबत में सब बहुत डर जाते है।


ये लाश किसकी है, 

हर तरफ यही शोर होता है।


 नम आँखें हैं और एंबुलेंस की आवाजें हैं, 

लाशों के ढेर से हम गुजर रहे हैं। 


फिर यह युद्ध कैसा हैं ,

 जिसमें सब मौत जैसा हैं।


युद्ध से हमें कुछ नहीं मिलता हैं,

इससे सिर्फ़ मानवता को नुकसान पहुँचता है।


हमें खुद को युद्ध से दूर रखना होगा,

हम सबको मिलकर मानवता के लिए जीना होगा।


युद्ध से बस विनाश हैं और कुछ नहीं,

हम सबको युद्ध से दूर रहना होगा।


By Jai Kishor Mandal


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